संगीत लहरियाँ

आखिर हम आ ही गये यहाँ। थोड़ा समय लगेगा इसे ठीक करने में अभी। बहुत दिनों से सोच रहा हूं गानों की एक सूची बना कर वेब पर डालूं जिसमें गाने ढूंढे जा सकें। लक्ष्य है साझेदारी... ताकि यदि आप में से कोई चाहे तो मैं वो गाना भेज सकूं ... इस कार्य में समय लग सकता है, कुछ महीने...

एक बार मैंने उत्सव (१९९५-१९९६) नामक उत्सव के लिये अंग्रेजी में एक लेख लिखा था. लेख को ठीक से समाप्त नहीं कर सका और न ही लेख उस समय छप सका। यहां आप इसे देख सकते हैं।

ये दो जगहें (आभार विजय) ठुमरी.कॉम पर हैं, जरूर देखें।

भूली बिसरी धुनें

सहगल

और आखिर में, राजन पार्रिकर जिन्दाबाद....

राजन का संगीतालय